लाइव बॉम्ब की कहानी है फिल्म "ब्लैंक"

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इंटेलीजेंस ब्यूरो के एसएस दीवान (सनी देओल) का एक ही धर्म है ड्यूटी। उन्हें खबर मिलती है कि शहर में एक खतरनाक आतंकी हनीफ (करण कपाड़िया) घुस आया है। उस पर नजर रखी जाती है।'हनीफ का एक्सीडेंट हो जाता है और उसकी याददाश्त चली जाती है। हनी एक जीता-जागता बम है। उसके सीने पर एक बम लगा है जिसके बारे में उसे भी नहीं पता है कि यह सब कैसे और क्यों हुआ। हनीफ की धड़कन रूकी और बम फटा।

निर्माता : डॉ. शशिकांत भसी, निशांत पिट्टी, टोनी डिसूजा, विशाल राणा, एंड पिक्चर्स निर्देशक : बेहज़ाद खम्बाटा कलाकार : सनी देओल, करण कपाड़िया, ईशिता दत्ता, करणवीर शर्मा, जमील खान रिलीज डेट : 3 मई 2019

अभिनय की बात करें तो एटीएस चीफ के रूप में सनी देओल ने अपनी ऐज प्ले की है और ऐक्शन-इमोशन के साथ उन्होंने अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है। नए चेहरे करण कपाड़िया ऐक्शन के मामले में चतुर और चपल साबित हुए हैं, मगर एक्सप्रेशन के मामले में चूक गए हैं। पूरी फिल्म में उनके चेहरे पर एक ही भाव रहता है। करणवीर शर्मा ने एटीएस अफसर की भूमिका में अच्छा काम किया है। हुस्ना के रूप में इशिता दत्ता के पास कुछ ज्यादा करने को नहीं था। आतंकी सरगना मकसूद के रूप में जमील खान ने चरित्र के मुताबिक काम किया है।

डिम्पल कपाड़िया के भतीजे करन कपाड़िया की डेब्यू फिल्म ब्लैंक का ट्रेलर रिलीज हो गया है। इस फिल्म में करने सुसाइड बॉम्बर की भूमिका निभाई है जिसकी एक एक्सीडेंट में याददाश्त चली जाती है। लेकिन उसके सीने पर एक बॉम्ब लगा होता है, जिसका कंट्रोल उसकी धड़कनों में होता है। इस बॉम्ब को डिफ्यूज करने और आतंकवाद को खत्म करने की जिम्मेदारी फिल्म में सनी देओल के ऊपर है। सनी देओल हैं तो एक्शन तो होगा ही। ट्रेलर में कुछ एक्शन सीन भी नजर आए हैं। फिल्म का डायरेक्शन बेहजाद खम्बाटा ने किया है। यह फिल्म 3 मई को रिलीज होगी।

नए चेहरे को लॉन्च करना

बॉलिवुड के दस्तूर के मुताबिक, अगर किसी नए चेहरे को लॉन्च करना होता है तो या तो उसे लव स्टोरी के साथ परोसा जाता है अथवा ऐक्शन हीरो के रूप में। जानी-मानी ऐक्ट्रेस डिंपल कापड़िया के भतीजे और उनकी बहन सिंपल कपाड़िया के बेटे करण कापड़िया को इंट्रोड्यूज करनेवाली फिल्म ब्लैंक में परम्परा के अनुसार ऐक्शन हीरो के रूप में पेश किया गया है। निर्देशक बेहजाद खंबाटा ने अपनी इस फिल्म में सनी देओल जैसे बड़े अभिनेता, करणवीर शर्मा और इशिता दत्ता जैसे यंग टैलंट को लेकर एक ठीक-ठाक फिल्म तो बना ली, मगर यदि स्क्रिप्ट दमदार होती तो यह एक बेहतरीन फिल्म बन सकती थी। (करण कपाड़िया) शहर के अलग-अलग हिस्सों में लोगों को मोबाइल पर निर्देश दे रहा है, मगर तभी उसका एक्सिडेंट हो जाता है। उसे जब अस्पताल में लाया जाता है तो राज खुलता है कि वह एक सूइसाइड बॉम्बर है। हनीफ के एनकाउंटर का फैसला किया जाता है, मगर तभी एक कॉल आती है और कहानी 12 घंटे पीछे जाती है। एटीएस चीफ एसएस दीवान (सनी देओल) को शहर में एक बहुत बड़ी खेप में एचएमएक्स (विस्फोटक) लाए जाने की खबर मिलती है। वह अपनी टीम हुस्ना (इशिता दत्ता) और रोहित (करणवीर शर्मा) के साथ तफ्तीश में जुट जाता है।

जांच-पड़ताल से पता चलता है कि हनीफ के शरीर पर लगे हुए बम के तार अन्य 24 लोगों के बम से जुड़े हैं और आतंकवादी मकसूद (जमील खान) जेहाद और जन्नत के नाम पर उनका इस्तेमाल करके शहर में 25 धमाके करके आतंक का राज्य कायम करना चाहता है। हनीफ किसी तरह पुलिस की गिरफ्त से भाग निकलता है। क्या वह उन 25 धमाकों के भयानक काम को अंजाम दे पाता है? युवा हनीफ आत्मघाती बम क्यों बना? इन सवालों का जवाब फिल्म में मिलेगा। निर्देशक बेहजाद खंबाटा ने कहानी की शुरुआत बहुत दिलचस्प ढंग से की, जहां मध्यांतर तक उत्सुकता बनी रहती है कि हनीफ की असलियत क्या है? आतंकियों के तार ढूंढने का ट्रीटमेंट दर्शकों को बांधे रखता है। मगर सेकंड हाफ में आकर कहानी बिखर जाती है। जेहाद जैसे विषय पर पहले भी कई फिल्में बन चुकी हैं। यही वजह है कि निर्देशक इसे खास नहीं बना पाए। हालांकि अंत का ट्विस्ट और सस्पेंस दर्शकों को चौंकाता है, मगर ऐक्शन के तगड़े डोज के बाद अक्षय कुमार और करण कपाड़िया का प्रमोशनल सॉन्ग 'अली अली' बहुत फनी लगता है।

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