लखनऊ, पसमांदा मुस्लिम समाज कार्यालय स्थिति लालबाग लखनऊ में अल्पसंख्यक
अधिकार दिवस का आयोजन किया गया, जिस में मुख्य अतिथि के रूप में संगठन के संस्थापक, राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने सम्बोधित करते हुए कहा कि सब से पहले अल्पसंख्यक
अधिकार दिवस की बधाई देता हूं।
अनीस मंसूरी ने कहा कि अल्पसंख्यक अधिकार दिवस भाषाई, धर्म, जाति और रंग के
आधार पर अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित लोगों के अधिकारों को बढ़ावा और संरक्षित करने के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। भारत में बहुमत-अल्पसंख्यक मुद्दों पर अक्सर असहमति और चर्चा
धार्मिक और राजनीतिक असंतोश पैदा करने के लिए उभरती है। भले ही भारतीय संविधान हमेशा अल्पसंख्यकों समेत सभी समुदायों को समान और न्यायपूर्ण अधिकार प्रदान करता था और प्रदान करता रहेगा लेकिन अल्पसंख्यकों के अधिकारों से संबंधित कुछ मुद्दे अभी भी जीवित हैं।
अनीस मंसूरी ने कहा कि भारत में अल्पसंख्यक अधिकार दिवस मना कर प्रत्येक राज्य अल्पसंख्यकों से संबंधित मुद्दों पर पूरी तरह से केंद्रित है और अच्छी तरह से यह सुनिश्चित करता है कि अल्पसंख्यकों के अधिकार उनके प्रांत के भीतर सुरक्षित हैं। अनीस मंसूरी ने कहा कि अल्पसंख्यक षब्द अल्प और संख्यक जैसे दो षब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है दूसरों के अपेक्षा संख्या में कम होना। अल्पसंख्यक होने के कई पहलू हो सकते परन्तु मुख्यत इसमें धार्मिक, भाशायी, जातीय पहलुओं को प्रमुखता से देखा जाता है। इसमें सबसे प्रमुख होता है धार्मिक रुप से अल्पसंख्यक होना, कई सारे देशांे में धार्मिक अल्पसंख्यकों को विशेष सुविधाएं प्रदान की जाती है ताकि इनके साथ किसी प्रकार का भेदभाव ना हो और बहुसंख्यक समाज के साथ यह भी समान रुप से विकास कर सकें हालांकि कई सारे देशों में इसके विपरीत धार्मिक अल्पसंख्यकों को विभिन्न तरीकों से प्रताड़ित भी किया जाता है और उन्हें हेय दृष्टि से
देखा जाता है । अनीस मंसूरी ने कहा कि हमारे देश में हिन्दू धर्म को बहुसंख्यक माना जाता है और इसके अलावा मुस्लिम, सिख, पारसी, जैन, ईसाई, बौद्ध धर्म के लोगों को अल्पसंख्यक माना जाता है। सरकार देश भर में अल्पसंख्यकों के लिए कई तरह की विशेष योजनाएं चलायी जाती है और इसके साथ ही अल्पसंख्यकों के विकास के लिए सन् 1992 में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का भी गठन किया गया था। अल्पसंख्यक समुदाय विशेषकर मुसलमान समुदाय के लोग अपनी इच्छा से भारतीय हैं न की किसी मजबूरी की वजह से और उन्हें अपनी वफादारी या देषभक्ति का कोई सबूत पेष करने की आवश्यकता नहीं है।
मुस्लिम या किसी अन्य समुदाय से होना और भारत में रहना पर्याप्त सबूत है जो यह साबित करते हैं कि वे देशभक्त हैं। अनीस मंसूरी ने कहा कि अल्पसंख्यकों को समान अधिकार प्रदान करके राजनेता उनके ऊपर कोई एहसान नहीं कर रहे हैं बल्कि वास्तव में यह उनका वास्तविक अधिकार है। एक ऐसा देष जो जाति, धर्म या समुदाय के आधार पर लोगों के बीच भेदभाव नहीं करता लोकतंत्र की वास्तविक भावना को दर्षाता है। दुनिया भर में कई उदाहरण हैं जब एक विशिष्ट अल्पसंख्यक समूह को राजनीतिक और नीतिगत भेदभाव के कारण संघर्श करना पड़ा और पीड़ा सहनी पड़ी। इस अवसर पर शाहिद कस्सार, हाजी नसीम अहमद, एजाज अहमद राईनी, मौलाना इलियास मंसूरी, हाजी शब्बन, शब्बीर अहमद मंसूरी के अलावा काफी लोगों ने अपने विचार व्यक्त किये।