आज भी ब्रह्मांड के कई ऐसे रहस्य हैं, जो पृथ्वीवासियों के लिए अनसुलझे हुए हैं। ऐसी एक पहेली है ब्लैक होल की। कई वर्षों की मेहनत के बाद आज दुनिया को इसकी पहली तस्वीर दिखाई देगी। वैज्ञानिक कई वर्षों से इसके रहस्य को सुलझाने में लगे हुए हैं। उम्मीद की जा रही है कि ब्लैक होल की पहली तस्वीर जारी होने से कई सवालों के जवाब अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को मिल सकेंगे। ब्लैक होल स्पेस में वह स्थान है, जहां भौतिक विज्ञान का कोई भी नियम काम नहीं करता। इसका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र इतना शक्तिशाली होता है कि इसके खिंचाव से कुछ भी नहीं बच सकता। यहां तक कि प्रकाश भी यहां प्रवेश करने के बाद बाहर नहीं निकल पाता है। यह अपने ऊपर पड़ने वाले सारे प्रकाश को अवशोषित कर लेता है। ब्लैक होल के बारे में जर्मन वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन भी बता चुके हैं कि किसी भी चीज़ का गुरुत्वाकर्षण स्पेस को उसके आसपास लपेट देता है और उसे घुमाव (वक्र) जैसा आकार दे देता है। इसके बारे में की गई रिसर्च को लेकर दुनिया भर के खगोल वैज्ञानिक बुधवार को एकसाथ 6 बड़े संवाददाता सम्मेलन आयोजित करेंगे और 'इवेंट हॉरिजन टेलीस्कोप' (ईएचटी) के पहले परिणाम की घोषणा करेंगे। इसके खासतौर से फोटो लेने के लिए ही बनाया गया है। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के खगोलविद् और ब्लैक होल के एक विशेषज्ञ पॉल मैक्नमारा के मुताबिक पिछले 50 वर्षों से वैज्ञानिक देखते आ रहे हैं कि हमारी आकाशगंगा के केंद्र में कुछ बहुत चमकीला है। उन्होंने बताया कि ब्लैक होल में इतना मजबूत गुरुत्वाकर्षण है कि तारे 20 वर्ष में इसकी परिक्रमा करते हैं। हमारी सौर प्रणाली के अनुसार आकाशगंगा की परिक्रमा में 23 करोड़ साल लगते हैं।
क्यों कहते हैं ब्लैक होल

सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत के अनुसार ब्लैक होल ऐसी खगोलीय वस्तु होती है जिसका गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र इतना शक्तिशाली होता है कि प्रकाश सहित कुछ भी इसके खिंचाव से बच नहीं सकता। यह अपने ऊपर पड़ने वाले सारे प्रकाश को अवशोषित कर लेता है और कुछ भी रिफ्लेक्ट (प्रतिबिंबित) नहीं करता, इसीलिए इसे ब्लैक होल कहा जाता है।
ब्लैक होल अंतरिक्ष में ऐसी जगह है, जिसमें जाने के बाद कोई चीज बाहर नहीं आती। यहां तक कि प्रकाश भी नहीं। इसके अंग्रेजी नाम का हिंदी में अनुवाद करें तो यह काला छिद्र होगा। मगर यह वास्तव में कोई छिद्र या छेद नहीं है। यह तत्वों का घना मिश्रण माना जाता है, जिससे पैदा होने वाला गुरुत्वाकर्षण बल आसपास मौजूद सभी चीजों को अपनी ओर खींचता है। वैज्ञानिक 18वीं शताब्दी से इसे काला तारा मानकर इसके अस्तित्व को स्वीकारते थे, लेकिन किसी दूरबीन से इसे देखा नहीं जा सका था, न कभी इसकी तस्वीर सामने आई थी।
सूर्य से 650 करोड़ गुना भारी है ब्लैक होल, चार हजार करोड़ वर्ग किलोमीटर है इसका फैलाव
हाल में ही वैज्ञानिकों के अथक प्रयासों से ब्लैक होल की पहली तस्वीर जारी की गई है। यह ब्लैक होल एम87 नामक आकाशगंगा में मौजूद है। इस तस्वीर में प्रकाश का एक चक्र दिख रहा है, जिसके बीच में ब्लैक होल है। यह तस्वीर इवेंट हॉरिजन टेलिस्कोप से ली गई है। क्या है इवेंट हॉरिजन टेलीस्कोप यह आठ टेलीस्कोप को जोड़कर बनाया गया नेटवर्क है। क्योंकि, एक टेलिस्कोप ब्लैक होल की तस्वीर लेने में सक्षम नहीं था। टेलिस्कोप को एक दूसरे से जोड़ने की तकनीकी को इंटरफेरोमेट्री कहते हैं। इस काम में 200 वैज्ञानिकों का समूह लगा हुआ था। परियोजना के शोधकर्ताओं ने अप्रैल 2017 में अमेरिका के एरिजोना और हवाई के साथ-साथ मैक्सिको, चिली, स्पेन और अंटार्कटिका में दूरबीनों का उपयोग करके पहला डेटा प्राप्त किया। टेलिस्कोप के वैश्विक नेटवर्क ने अनिवार्य रूप से एक ग्रह के आकार का अवलोकन तैयार किया। टीम के एक सदस्य मैकस्कोरा ने कहा कि टेलिस्कोप प्रति छेद ब्लैक होल को नहीं देख रहा है, लेकिन जिस सामग्री को उसने पकड़ा है, वह एक चमकदार डिस्क है, जिसे व्हाइट-हॉट गैस और प्लाज्मा कहा जाता है। धरती से इतनी दूरी पर स्थित है यह ब्लैक होल, ब्लैक होल की स्थिति धरती से 5 करोड़ 50 लाख प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। एम87 नाम की गैलेक्सी में पाए गए इस ब्लैक होल का फैलाव 4000 करोड़ वर्ग किलोमीटर तक है। सूर्य से 650 करोड़ गुना से ज्यादा भारी यह ब्लैक होल सूर्य से 650 करोड़ गुना ज्यादा भारी है। तस्वीर में ब्लैक होल आग के जलते गोले के समान दिखाई दे रहा है। विशेषज्ञ इसे गरम गैसों का एक मिश्रण बता रहे हैं।
1972 में सबसे पहले ब्लैक होल की हुई थी पुष्टि 1972 में सबसे पहले ब्लैक होल की पुष्टि हुई थी। स्टीफन हॉकिंग ने ब्लैक होल पर इवेंट होराइजन की थ्योरी दी थी। जिसके बाहरी हिस्से को इवेंट होराइजन कहते हैं। इससे निकलने वाली रेडिएशन को हॉकिंग रेडिएशन के नाम से जाना गया। सही थे आइंस्टीन.. 1915 में जर्मन वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने सामान्य सापेक्षता का सिद्धांत दिया था, इस सिद्धांत के तहत ब्लैकहोल की गुरुत्वाकर्षण शक्ति इतनी अधिक होती है कि यह आसपास की सभी चीजों को अपने अंदर खींच लेगा। आइंस्टीन के इस सिद्धांत से ब्लैकहोल के बारे में जानने में बेहद मदद मिली। इससे पहले बताया गया था कि गुरुत्वाकर्षण प्रकाश की गति को प्रभावित करता है।